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विद्यालयों की जवाबदेही तय होनी चाहिए



कोरोना महामारी के कारण 22 मार्च 2020 को सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया था जिसके कुछ महीनों बाद जैसे-जैसे परिस्थिति सही हो रही थी वैसे वैसे विद्यालयों को खोला जा रहा था लेकिन एक बार फिर से कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन ने दुनिया भर में दस्तक दे दी है जिससे एक बार फिर से भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिसके कारण फिर से कुछ समय के लिए स्कूलों को बंद कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश - दिसंबर महीने में प्रदेश के मुखिया आदित्य योगी नाथ द्वारा कक्षा एक से कक्षा 8 तक के विद्यालयों को शीतकालीन अवकाश के लिए आदेश दिया गया था जिसका अनुसरण करते हुए सभी सरकारी विद्यालयों को 15 जनवरी तक बंद कर दिया गया था पहले तो यह शीतकालीन अवकाश था लेकिन जिस तरह से यह महामारी अपने पैर पसार रही है उससे लगता है कि विद्यालय लंबे समय तक बंद होने वाले हैं। मुख्यमंत्री द्वारा विद्यालयों की अवकाश को लेकर दिए गए आदेश को न मानने वाले कुछ विद्यालयों का यह भी कहना था की अभी जिला अधिकारी के आदेश नहीं आए हैं और जब तक उनके आदेश नहीं आते हैं तब तक हम विद्यालय बंद नहीं करेंगे और इसी हठधर्मिता को दिखाते हुए विद्यालयों को खोल रहे थे और इतना ही नहीं सरकार से बचने के लिए विद्यार्थियों को उनका पाठ्यक्रम पूरा कराने के नाम पर उनको विद्यालय की यूनिफॉर्म न पहन कर आने के लिए भी कहा जा रहा था ताकि कोई भी यह न पहचान सके कि बच्चा स्कूल जा रहा है और ऐसा सिर्फ इसलिए ताकि विद्यालयों को उनका शुल्क मिल सके। उनके ऐसे क्रियाकलापों से यदि कोई बच्चा संक्रमित हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? यदि अभी भी कोई स्कूल विद्यार्थियों को बुला रहा है तो सभी अभिभावकों को ऐसे विद्यालयों के मालिकों या प्रबंधकों से इसका जवाब लेना चाहिए।

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