उत्तर प्रदेश पुलिस ने भारतीय चुनाव आयोग की वेबसाइट को कथित रूप से हैक करने और फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाने के आरोप में एक 24 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया है।
Arrested man Vipul Saini Image source : patrika |
उत्तर प्रदेश - जानकारी अनुसार गुरुवार को कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक (बीसीए) (bca from shobhit university) डिग्री धारक विपुल सैनी( Hacker Vipul saini from saharanpur) को सहारनपुर जिले के नकुल कस्बे के मच्छरहेड़ी गांव से गिरफ्तार किया गया। जांच के दौरान पता चला कि विपुल मध्य प्रदेश के अरमान मलिक नाम के एक व्यक्ति के इशारे पर काम कर रहा था 3 महीनों में 10,000 से अधिक फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाने का काम किया है। विपुल को प्रति आईडी 100 से ₹200 का भुगतान किया जाता था लेकिन गिरफ्तारी के बाद जब उसके बैंक खाते की जांच की गई तो उसे देख कर आला अधिकारी अचंभित हो गए क्योंकि उसके खाते में ₹60 लाख जमा किए गए थे। जिसको देखते हुए विपुल का खाता फ्रीज कर दिया गया आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस पैसे के स्रोत की जांच कर रही है और अरमान के बारे में अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने यह भी कहा की दिल्ली के अधिकारी अब उसे आगे की जांच के लिए राष्ट्रीय राजधानी ले जाने के लिए अदालत से अनुमति मांगेंगे और यह भी जांच की जाएगी कि क्या वह राष्ट्र विरोधी या आतंकवादी ताकतों से जुड़ा है।
पूछताछ के दौरान विपुल ने बताया की वह अरमान को पूरे दिन के कार्य का विवरण भेजता था फिर अरमान के द्वारा उसे अगले दिन का कार्य भेजा जाता था।
पुलिस के मुताबिक विपुल ने सहारनपुर जिले के गंगोह गांव की शोभित विश्वविद्यालय से बीसीए पूरा किया है। उसके पिता एक किसान हैं।
इस हैकर ने निर्वाचन आयोग के दावे की निकाली हवा
दो साल पहले निर्वाचन आयोग ने दावा किया था कि कोई भी हैकर आयोग की वेबसाइट को हैक नही कर सकता है। साइबर खतरों से निबटने के लिए सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति के साथ थर्ड पार्टी ऑडिट की व्यवस्था की थी। आयोग ने एसएसएल (सिक्योर सर्किट लेयर) सर्टिफिकेट को आने डोमेन में शामिल किया था। आयोग ने डोमेन नाम के शुरू में लगने वाले एचटीटीपी यानी हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल से एचटीटीपीएस यानी हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल सिक्योर पर स्विच किया था। आयोग ने साइबर खतरों से निबटने के लिए दिल्ली मुख्यालय में एक मुख्य सूचना अधिकारी व राज्यों में सुरक्षा नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की थी। लेकिन इन सुरक्षाओं के चक्रव्यूह को तोड़ते हुए विपुल 10000 फर्जी मददाता पत्र बना देता है और सुरक्षा अधिकारियों को कानों कान ख़बर नहीं होती है। एक सरकारी संस्थान का साइबर अटैक को रोकने में नाकामयाब होना दर्शाता है कि एक आम आदमी के साथ कुछ भी हो सकता है।